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सरबजीत की बहन एक रात में ही कैसे बदल गई?

the third eye
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पाकिस्तान की कोट लखपत जेल में साथी कैदियों के हमले के बाद अस्पताल में दम तोड़ चुके भारतीय नागरिक सरबजीत के लिए एक ओर जहां पूरा देश संवेदना से भर गया है, लोगों में पाकिस्तान की घिनौनी हरकत व भारत सरकार की नाकामी पर गुस्सा है और कहीं न कहीं इसे भारत सरकार की लापरवाही अथवा कूटनीतिक पराजय मान रहा है, वहीं सरबजीत की बहन दलबीर कौर के एक ही रात में बदले सुर से सब भौंचक्क हैं।
पाकिस्तान से लौटने पर वाघा बॉर्डर पर शेरनी की तरह दहाड़ते हुए दलबीर कौर ने कहा था कि भारत सरकार के लिए शर्म की बात है कि वह अपने एक नागरिक को नहीं बचा सकी। भारत ने पाकिस्तान के कई कैदी छोड़े लेकिन अपने सरबजीत को नहीं बचा सके। उन्होंने आरोप लगाया था कि भारत सरकार ने उनके परिवार को धोखा दिया है। उन्होंने यह धमकी भी दी थी कि अगर सरबजीत को कुछ हुआ तो वह देश में ऐसे हालात पैदा कर देंगी कि मनमोहन सिंह कहीं मुंह दिखाने लायक नहीं रहेंगे। एक ओर जहां उनके इस बयान को उनके अपने भाई के प्रति अगाघ प्रेम की वजह से भावावेश में आ जाना माना जा रहा था, वहीं कुछ को लग रहा था कि वे किसी के इशारे पर मनमोहन सिंह को सीधी चुनौती दे रही थीं। कुछ ऐसे भी हो सकते हैं, जिनको उम्मीद रही हो कि दलबीर कौर को सरकार के खिलाफ काम में लिया जाएगा। जो कुछ भी हो, लेकिन उनका गुस्सा जायज था। मगर जैसे ही सरबजीत की मौत की खबर आई, कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी व गृहमंत्री सुशील कुमार शिंदे ने सरबजीत के परिवार से मुलाकात की और दलजीत कौर का सुर बदल गया है। जिस प्रकार वह उनसे गले मिल कर भावुक हुईं, उससे भी यह आभास हो गया कि एक ही रात में उसका हृदय परिवर्तन हो गया है।
दलबीर कौन ने कहा कि उनका भाई देश के लिए शहीद हुआ है। देश के सभी हिंदू, मुस्लिम, सिख, ईसाई और सभी राजनीतिक दलों को एक हो जाना चाहिए। उन्होंने सब से मिलकर पाकिस्तान पर हमला करने की जरूरत बताई। दलबीर ने कहा कि पहले मुशर्रफ ने वाजपेयी की पीठ पर छुरा मारा, अब जरदारी ने मनमोहन की पीठ पर छुरा मारा है। यह मौका है जब देशवासियों को सब कुछ भूल कर प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के हाथ मजबूत करने चाहिए और गृह मंत्री शिंदे का साथ देना चाहिए।
स्वाभाविक सी बात है कि उनके इस बदले हुए रवैये पर आश्चर्य होना ही है। आखिर ऐसी क्या वजह रही कि एक दिन पहले सरकार से सीधी टक्कर लेने की चेतावनी देने वाली सरबजीत की बहन पलट गई। संदेह होता है कि वे अब किसी दबाव में बोल रही हैं। जाहिर तौर पर यह सरकार का ही दबाव होगा, जिसके तहत सरबजीत की दोनों बेटियों को सरकारी नौकरी और पर्याप्त आर्थिक मदद करने की पेशकश की गई होगी। दलबीर कौर के इस रवैये की सोशल मीडिया पर आलोचना हो रही है। बानगी के बतौर कोलाकाता के एक व्यक्ति किरण प्रांतिक की ट्वीट देखिए:-
सरबजीत की बहन दलबीर को मनमोहन-शिंदे सरकार ने खरीद लिया. अब वे इस नपुंसक सरकार के हाथ मजबूत करने के लिए भाषण दे रहीं!! सरबजीत की हत्या पे आज पूरा देश दुखी और क्रोधित है. गुस्सा फूटा पड़ रहा…बेहद अफसोस कि उनका परिवार ही आज इस नपुंसक सरकार से घूस खा गया!! ऐसे घूसखोर परिवार में सरबजीत का जन्म! जो घूस खाकर उस नपुंसक सरकार को बचाने लग गया, जिसने सरबजीत को बचाने के लिए कभी कड़े कदम उठाये ही नहीं!
बहरहाल, इन महाशय की प्रतिक्रिया चुभने वाली जरूर है, मगर यह भी सच है कि सरकारें इसी प्रकार लालच दे कर गुस्साए लोगों के मुंह बंद करती हैं और सरबजीत की बहन भी उसके परिवार के भविष्य के लिए झुक गई, क्योंकि अब सरबजीत तो कभी लौट कर आने वाला है नहीं। बेहतर ये ही है कि उसका मुआवजा ले लिया जाए।
-तेजवानी गिरधर

पाकिस्तान की कोट लखपत जेल में साथी कैदियों के हमले के बाद अस्पताल में दम तोड़ चुके भारतीय नागरिक सरबजीत के लिए एक ओर जहां पूरा देश संवेदना से भर गया है, लोगों में पाकिस्तान की घिनौनी हरकत व भारत सरकार की नाकामी पर गुस्सा है और कहीं न कहीं इसे भारत सरकार की लापरवाही अथवा कूटनीतिक पराजय मान रहा है, वहीं सरबजीत की बहन दलबीर कौर के एक ही रात में बदले सुर से सब भौंचक्क हैं।

पाकिस्तान से लौटने पर वाघा बॉर्डर पर शेरनी की तरह दहाड़ते हुए दलबीर कौर ने कहा था कि भारत सरकार के लिए शर्म की बात है कि वह अपने एक नागरिक को नहीं बचा सकी। भारत ने पाकिस्तान के कई कैदी छोड़े लेकिन अपने सरबजीत को नहीं बचा सके। उन्होंने आरोप लगाया था कि भारत सरकार ने उनके परिवार को धोखा दिया है। उन्होंने यह धमकी भी दी थी कि अगर सरबजीत को कुछ हुआ तो वह देश में ऐसे हालात पैदा कर देंगी कि मनमोहन सिंह कहीं मुंह दिखाने लायक नहीं रहेंगे। एक ओर जहां उनके इस बयान को उनके अपने भाई के प्रति अगाघ प्रेम की वजह से भावावेश में आ जाना माना जा रहा था, वहीं कुछ को लग रहा था कि वे किसी के इशारे पर मनमोहन सिंह को सीधी चुनौती दे रही थीं। कुछ ऐसे भी हो सकते हैं, जिनको उम्मीद रही हो कि दलबीर कौर को सरकार के खिलाफ काम में लिया जाएगा। जो कुछ भी हो, लेकिन उनका गुस्सा जायज था। मगर जैसे ही सरबजीत की मौत की खबर आई, कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी व गृहमंत्री सुशील कुमार शिंदे ने सरबजीत के परिवार से मुलाकात की और दलजीत कौर का सुर बदल गया है। जिस प्रकार वह उनसे गले मिल कर भावुक हुईं, उससे भी यह आभास हो गया कि एक ही रात में उसका हृदय परिवर्तन हो गया है।

दलबीर कौन ने कहा कि उनका भाई देश के लिए शहीद हुआ है। देश के सभी हिंदू, मुस्लिम, सिख, ईसाई और सभी राजनीतिक दलों को एक हो जाना चाहिए। उन्होंने सब से मिलकर पाकिस्तान पर हमला करने की जरूरत बताई। दलबीर ने कहा कि पहले मुशर्रफ ने वाजपेयी की पीठ पर छुरा मारा, अब जरदारी ने मनमोहन की पीठ पर छुरा मारा है। यह मौका है जब देशवासियों को सब कुछ भूल कर प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के हाथ मजबूत करने चाहिए और गृह मंत्री शिंदे का साथ देना चाहिए।

स्वाभाविक सी बात है कि उनके इस बदले हुए रवैये पर आश्चर्य होना ही है। आखिर ऐसी क्या वजह रही कि एक दिन पहले सरकार से सीधी टक्कर लेने की चेतावनी देने वाली सरबजीत की बहन पलट गई। संदेह होता है कि वे अब किसी दबाव में बोल रही हैं। जाहिर तौर पर यह सरकार का ही दबाव होगा, जिसके तहत सरबजीत की दोनों बेटियों को सरकारी नौकरी और पर्याप्त आर्थिक मदद करने की पेशकश की गई होगी। दलबीर कौर के इस रवैये की सोशल मीडिया पर आलोचना हो रही है। बानगी के बतौर कोलाकाता के एक व्यक्ति किरण प्रांतिक की ट्वीट देखिए:-

सरबजीत की बहन दलबीर को मनमोहन-शिंदे सरकार ने खरीद लिया. अब वे इस नपुंसक सरकार के हाथ मजबूत करने के लिए भाषण दे रहीं!! सरबजीत की हत्या पे आज पूरा देश दुखी और क्रोधित है. गुस्सा फूटा पड़ रहा…बेहद अफसोस कि उनका परिवार ही आज इस नपुंसक सरकार से घूस खा गया!! ऐसे घूसखोर परिवार में सरबजीत का जन्म! जो घूस खाकर उस नपुंसक सरकार को बचाने लग गया, जिसने सरबजीत को बचाने के लिए कभी कड़े कदम उठाये ही नहीं!

बहरहाल, इन महाशय की प्रतिक्रिया चुभने वाली जरूर है, मगर यह भी सच है कि सरकारें इसी प्रकार लालच दे कर गुस्साए लोगों के मुंह बंद करती हैं और सरबजीत की बहन भी उसके परिवार के भविष्य के लिए झुक गई, क्योंकि अब सरबजीत तो कभी लौट कर आने वाला है नहीं। बेहतर ये ही है कि उसका मुआवजा ले लिया जाए।

-तेजवानी गिरधर

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