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जल्द ही नया राजनीतिक दल बनाने जा रहे अरविंद केजरीवाल भले ही लगातार दिल्ली सरकार व सोनिया गांधी के जवांई राबर्ड वाड्रा के बहाने कांग्रेस पर हमले बोलते जा रहे हों, मगर भाजपा उनसे ज्यादा भयभीत है। उसे डर है कि वे न केवल कांग्रेस विरोधी वोटों में, जो कि इस बार भाजपा को मिलने की उम्मीद थी, में हिस्सा बांटेंगे, अपितु भाजपा से निराश मतदाताओं में भी सेंध डालेंगे।
हिंदूवादी भाजपा केजरीवाल से कितनी भयभीत है, इसका अनुमान इस विश्लेषण के साथ दिए गए चित्र से, जो कि किसी हिंदूवादी ने फेसबुक पर लगाया है, से लगाया जा सकता है। जैसे ही यह चित्र फेसबुक पर लगा, टिप्पणियों का तांता लग गया। हिंदूवादियों ने केजरीवाल को न केवल भद्दी-भद्दी गालियां बकीं, अपितु उन्हें कांग्रेस व सोनिया का एजेंट तक करार दे दिया। इस बहसबाजी में बेचारे केजरीवाल समर्थक बार-बार शालीन भाषा में सफाई देते रहे, मगर हिंदूवादियों ने उन पर ताबड़तोड़ हमले जारी रखे।
असल में प्रतीत ये होता है कि जो केजरीवाल पहले कांग्रेस पर हमले बोलने के कारण भाजपा को बड़े प्रिय लग रहे थे और इसी वजह से भाजपाइयों ने उनका साथ दिया, वे ही जब दोधारी तलवार की तरह भाजपा पर भी हमले करने लगे तो भाजपाइयों को सांप सूंघ गया है। संघ व भाजपा ने टीम अन्ना का पीछे से साथ दिया ही इस कारण था कि जो काम वह खुद नहीं कर पाई, वह टीम अन्ना कर रही थी। जो माहौल भाजपा के दिग्गज लाल कृष्ण आडवाणी की रथ यात्रा से नहीं बन पाया, वह टीम अन्ना ने खड़ा करके दिखा दिया। जाहिर सी बात है कि खुद भी भ्रष्टाचार के आरोपों से घिरी भाजपा स्वयं तो कांग्रेस के विरोध में सशक्त आंदोलन खड़ा नहीं कर पाई, मगर बिना स्वार्थ के केवल देशभक्ति के लिए आंदोलन करने वाली टीम अन्ना ने वह माहौल खड़ा कर दिया, जिसका सीधा-सीधा लाभ भाजपा को होना था। तब तक इस बात की आशंका नहीं थी कि केजरीवाल अलग से पार्टी बनाएंगे, इस कारण भाजपा यही सोच रही थी कि वह टीम अन्ना के आंदोलन से बना कांग्रेस विरोधी माहौल अपने पक्ष में वोटों के रूप में भुना लेगी। मगर जैसे ही केजरीवाल टीम अन्ना से अलग हो कर नई पार्टी बनाने का उतारु हुए, भाजपा का सोचा हुआ प्लान बिगड़ गया। इतना ही नहीं केजरीवाल ने भाजपा को भी निशाने पर ले लिया। कोयला घोटाले में तो उन्होंने कांग्रेस व भाजपा को एक ही तराजू में तोल दिया। इससे बड़ा नुकसान ये हुआ कि जो भाजपा कांग्रेस के विकल्प के रूप में लोगों को स्वीकार्य थी, उस पर भी कालिख पुत गई। कांग्रेस तो चलो पहले से बदनाम थी, इस कारण कोयला घोटाले की कालिख से जहां सत्यानाश, वहां सवा सत्यानाश वाली कहावत की चरितार्थ हो रही थी, मगर दूध की धुली कहलाने वाली भाजपा की सफेद कमीज पर लगी थोड़ी भी कालिख उभर कर मुंह चिढ़ा रही है। इतने पर भी भाजपा ने सबक नहीं लिया। बिजली बिल को लेकर दिल्ली में चल रहे आंदोलन में भाजपा नेता विजय गोयल ने सदाशयता में केजरीवाल को मंच पर बुला लिया और केजरीवाल ने सिला ये दिया कि पलट कर भाजपा पर ही हमला बोल दिया। गोयल पछताए तो बहुत, मगर रोने के सिवाय उनके पास कोई चारा नहीं था। इस घटना के बाद अब भाजपा बेहद सतर्क हो गई है।
इसी कड़ी में किसी भाजपाई ने फेसबुक पर मुहिम के रूप में यह चित्र शाया किया, ताकि हिंदूवादी वोट खिसक कर केजरीवाल की ओर न चले जाएं। इस चित्र पर प्रतिक्रिया करते हुए भाजपाइयों ने अनेक उदाहरण देते हुए केजरीवाल को कांग्रेस जैसा ही सेक्युलर कुत्ता करार दिया। ये बहस इतनी घटिया स्तर पर हो रही है कि उसमें प्रयुक्त शब्दों का उल्लेख तक करना मर्यादा के खिलाफ प्रतीत होता है।
कुल मिला कर सच ये है कि कांग्रेस व भाजपा को एक जैसा बताने की कोशिश में केजरीवाल कांग्रेस से ज्यादा नुकसान भाजपा को पहुंचा रहे हैं। आगे आगे देखें होता क्या है?
-तेजवानी गिरधर
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