Menu
blogid : 4737 postid : 111

“Jagran Junction Forum”बेकाबू सोशल मीडिया चाहता है भड़ास निकालने की स्वच्छंदता

the third eye
the third eye
  • 183 Posts
  • 707 Comments

हाल ही में पूर्व कांग्रेस प्रवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी की कथित सैक्स सीडी सोशल मीडिया के माध्यम से सार्वजनिक कर दी गई। सीडी पर विवाद इतना अधिक गहरा गया कि अभिषेक मनु सिंघवी को अपने सभी राजनीतिक पदों से इस्तीफा तक देना पड़ा। हालांकि सिंघवी के इस प्रकार बेनकाब होने को बड़ी उपलब्धि बता कर कई लोग सोशल मीडिया को स्वतंत्र रखने की पैरवी कर रहे हैं, मगर यदि यह स्वच्छंदता की पराकाष्ठा तक पहुंचने लगे तो यह देश के लिए घातक हो सकता है। जिस सीडी के प्रसारण पर कोर्ट ने रोक लगा दी, उसे पिं्रट मीडिया व इलैक्ट्रॉनिक मीडिया प्रकाशित-प्रसारित नहीं कर पाया, जबकि सोशल मीडिया ने उसे जारी कर दिया, इससे यह संदेश गया कि सोशल मीडिया की वजह से ही सीडी प्रकाश में आई, मगर क्या ऐसा करके कोर्ट के आदेश को धत्ता नहीं बता दिया गया है? सवाल ये है कि जब हाईकोर्ट ने सीडी पर पाबंदी लगा दी तो अब उसे कैसे दिखाया जा रहा है? क्या सोशली मीडिया इस देश की न्यायपालिका से ऊपर है? क्या मीडिया तय करेगा कि कोर्ट सही है या गलत? एक ब्लॉगर ने बाकायदा पिं्रट व इलैक्ट्रॉनिक मीडिया को कायर बताते हुए कोर्ट को ओवरटेक करने पर सोशल मीडिया को शाबाशी दी। सोशल मीडिया ने नैतिकता, मर्यादा और कानून की धज्जियां उड़ाते हुए उस सीडी को न सिर्फ दिखाया है बल्कि उस पर टीका टिप्पणियां भी कीं। यदि सोशल मीडिया इस प्रकार कोर्ट को अंगूठा दिखा कर मदमस्त हो कर इठलाता है तो यह कभी हमारे देश की अखंडता व संप्रभुता के लिए घातक भी हो सकता है।
सवाल ये उठता है अभिव्यक्ति की आजादी की पैरवी करते हुए एक सीडी को उजागर करने की सफलता की आड़ में लोगों को बेहूदा टिप्पणियां करने अथवा भड़ास निकालने छूट दी जा सकती है? और जैसे ही सोशल मीडिया पर नियंत्रण की बात सामने आई तो देशभर में बहस छिड़ गई।
लोकतंत्र में अभिव्यक्ति की दुहाई देते हुए जहां कई लोग इसे संविधान की मूल भावना के विपरीत और तानाशाही की संज्ञा दे रहे हैं, वहीं कुछ लोग अभिव्यक्ति की आजादी के बहाने चाहे जिस का चरित्र हनन करने और अश्लीलता की हदें पार किए जाने पर नियंत्रण पर जोर दे रहे हैं।
यह सर्वविदित ही है कि इन दिनों हमारे देश में इंटरनेट व सोशल नेटवर्किंग साइट्स का चलन बढ़ रहा है। आम तौर पर प्रिंट और इलैक्ट्रॉनिक मीडिया पर जो सामग्री प्रतिबंधित है अथवा शिष्टाचार के नाते नहीं दिखाई जाती, वह इन साइट्स पर धड़ल्ले से उजागर हो रही है। किसी भी प्रकार का नियंत्रण न होने के कारण जायज-नाजायज आईडी के जरिए जिसके मन जो कुछ आता है, वह इन साइट्स पर जारी कर अपनी कुंठा शांत कर रहा है। अश्लील चित्र और वीडियो तो चलन में हैं ही, धार्मिक उन्माद फैलाने वाली सामग्री भी पसरती जा रही है। सोशल मीडिया पर आने वाले कमेंट देखिए, आप हैरान रह जायेंगे कि उनसे किसी का खून भी खौल सकता है। असामाजिक तत्त्व किसी भी शहर में धार्मिक उन्माद फैला कर दंगा करवा सकते हैं। पिछले दिनों राजस्थान के भीलवाड़ा में तो ऐसी ही टिप्पणी के कारण दंगे जैसी उत्पन्न हो गई थी। यानि कि साफ है कि हम अभिव्यक्ति की आजादी की पैरवी करते वक्त उसके दुरुपयोग की ओर आंखें मूंद लेना चाहते हैं। ऐसा करके हम असामाजिक तत्त्वों को गुंडागर्दी करने का लाइसेंस देना चाहते हैं।
राजनीति और नेताओं के प्रति उपजती नफरत के चलते सोनिया गांधी, राजीव गांधी, मनमोहन सिंह, कपिल सिब्बल, दिग्विजय सिंह सहित अनेक नेताओं के बारे में शिष्टाचार की सारी सीमाएं पार करने वाली टिप्पणियां और चित्र भी धड़ल्ले से डाले जा रहे हैं। प्रतिस्पद्र्धात्मक छींटाकशी का शौक इस कदर बढ़ गया है कि कुछ लोग अन्ना हजारे और बाबा रामदेव के बारे में भी टिप्पणियां करने से नहीं चूक रहे। ऐसे में पिछले दिनों केन्द्रीय दूरसंचार और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री कपिल सिब्बल ने जैसे ही यह कहा कि उनका मंत्रालय इंटरनेट में लोगों की छवि खराब करने वाली सामग्री पर रोक लगाने की व्यवस्था विकसित कर रहा है और सोशल नेटवर्किंग वेबसाइट्स से आपत्तिजनक सामग्री को हटाने के लिए एक नियामक व्यवस्था बना रहा है तो बवाल हो गया। सिब्बल के इस कदम की देशभर में आलोचना शुरू हो गई। बुद्धिजीवी इसे अभिव्यक्ति की आजादी पर अंकुश के रूप में परिभाषित करने लगे, वहीं मौके का फायदा उठा कर विपक्ष ने इसे आपातकाल का आगाज बताना शुरू कर दिया। हालांकि सिब्बल ने स्पष्ट किया कि सरकार का मीडिया पर सेंसर लगाने का कोई इरादा नहीं है। सरकार ने ऐसी वेबसाइट्स से संबंधित सभी पक्षों से बातचीत की है और उनसे इस तरह की सामग्री पर काबू पाने के लिए अपने पर खुद निगरानी रखने का अनुरोध किया, लेकिन सोशल नेटवर्किंग वेबसाइट्स के संचालकों ने इस बारे में कोई ठोस जवाब नहीं दिया। उनका तर्क ये था कि साइट्स के यूजर्स के इतने अधिक हैं कि ऐसी सामग्री को हटाना बेहद मुश्किल काम है।
जहां तक अभिव्यक्ति की आजादी का सवाल है, मोटे तौर पर यह सही है कि ऐसे नियंत्रण से लोकतंत्र प्रभावित होगा। इसकी आड़ में सरकार अपने खिलाफ चला जा रहे अभियान को कुचलने की कोशिश कर सकती है, जो कि लोकतांत्रिक व्यवस्था के लिए घातक होगा। लेकिन सवाल ये उठता है कि क्या अभिव्यक्ति की आजादी के मायने यह हैं कि फेसबुक, ट्विटर, गूगल, याहू और यू-ट्यूब जैसी वेबसाइट्स पर लोगों की धार्मिक भावनाओं, विचारों और व्यक्तिगत भावना से खेलने तथा अश्लील तस्वीरें पोस्ट करने की छूट दे दी जाए? व्यक्ति विशेष के प्रति अमर्यादित टिप्पणियां और अश्लील फोटो जारी करने दिए जाएं? किसी के खिलाफ भड़ास निकालने की खुली आजादी दे दी जाए? सोशल नेटवर्किंग साइट्स पर इन दिनों जो कुछ हो रहा है, क्या उसे अभिव्यक्ति की आजादी के नाम पर स्वीकार कर लिया जाये?
चूंकि ऐसी स्वच्छंदता पर काबू पाने का काम सरकार के ही जिम्मे है, इस कारण जैसे ही नियंत्रण की बात आई, उसने राजनीतिक लबादा ओढ लिया। राजनीतिक दृष्टिकोण से हट कर भी बात करें तो यह सवाल तो उठता ही है कि क्या हमारा सामाजिक परिवेश और संस्कृति ऐसी अभिव्यक्ति की आजादी के नाम पर आ रही अपसंस्कृति को स्वीकार करने को राजी है? माना कि इंटरनेट के जरिए सोशल नेटवर्किंग के फैलते जाल में दुनिया सिमटती जा रही है और इसके अनेक फायदे भी हैं, मगर यह भी कम सच नहीं है कि इसका नशा बच्चे, बूढ़े और खासकर युवाओं के ऊपर इस कदर चढ़ चुका है कि वह मर्यादाओं की सीमाएं लांघने लगा है। अश्लीलता व अपराध का बढ़ता मायाजाल अपसंस्कृति को खुलेआम बढ़ावा दे रहा है। जवान तो क्या, बूढ़े भी पोर्न मसाले के दीवाने होने लगे हैं। इतना ही नहीं फर्जी आर्थिक आकर्षण के जरिए धोखाधड़ी का गोरखधंधा भी खूब फल-फूल रहा है। साइबर क्राइम होने की खबरें हम आए दिन देख-सुन रहे हैं। जिन देशों के लोग इंटरनेट का उपयोग अरसे से कर रहे हैं, वे तो अलबत्ता सावधान हैं, मगर हम भारतीय मानसिक रूप से इतने सशक्त नहीं हैं। ऐसे में हमें सतर्क रहना होगा। सोशल नेटवर्किंग की सकारात्मकता के बीच ज्यादा प्रतिशत में बढ़ रही नकारात्मकता से कैसे निपटा जाए, इस पर गौर करना होगा। हमें इस बात को समझना होगा कि जिम्मेदारी और प्रतिबंधों के बिना मिला कोई भी अधिकार निरंकुशता की ओर ले कर जाता है और निरंकुशता अराजकता की ओर।
-तेजवानी गिरधर
7742067000
tejwanig@gmail.com

Read Comments

    Post a comment

    Leave a Reply

    Your email address will not be published. Required fields are marked *

    CAPTCHA
    Refresh